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गणतंत्र दिवस Republic day

 Republic Day Essay in Hindi, गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में Essay on Republic day in Hindi | हिंदी में गणतंत्र दिवस पर निबंध, Format, Samples Republic day Essay in Hindi – In this Essay on Republic Day in Hindi, we will discuss in detail one of the important festivals of India, Republic Day. Republic Day is one of the three important national festivals of India, so everyone should have complete knowledge about this subject. Hope that this article of ours will help you in getting additional information about this subject. आज के लेख में हम भारत के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक, गणतंत्र दिवस पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे। गणतंत्र दिवस भारत के तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों में से एक है, इसलिए सभी को इस विषय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। आशा करते हैं कि हमारा यह लेख इस विषय की अतिरिक्त जानकारी हासिल करने में आपकी सहायता करेगा। सामग्री (content) – प्रस्तावना गणतंत्र का अर्थ गणतंत्र दिवस मनाने का कारण भारत का राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस गणतंत्र दिवस के रोचक तथ्य गणतंत्र दिवस ...

लोकहित वाद PLL

लोकहित वाद का अर्थ आज हम जानेंगे लोकहित वाद का अर्थ साधारण शाब्दिक अर्थ में ऐसा वाद्य न्यायिक कार्यवाही जिसमें जनसाधारण या जनता के एक बड़े वर्ग का हित निहित होता है दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि व्यापक जनहित से जुड़े मामले लोकहित वाद होते हैं जब कोई व्यक्ति अपने हितों के रक्षण के लिए अर्थ अभाव मैं न्यायालय नहीं आ सकते थे वह लोकहित वाद के माध्यम से वह अपने हित का संरक्षण पा सकता है उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कृष्ण अय्यर ने कहा था कि पीड़ित और समर्थ व्यक्ति के ही न्यायालय में आज सकने की संकुचित अवधारणा को अब समाप्त कर दिया गया है उसका स्थान अब बड़े वर्ग कार्यवाही लोकहित वाद और प्रतिनिधि बाद आदि ने ले लिया है अब कोई भी व्यक्ति जो किसी लोकहित से जुड़ा हुआ है उसके संबंध में वह न्यायालय से सुरक्षा प्राप्त कर सकता है उदाहरण के लिए गंगा के पानी में सबका हित है उस नदी के पानी के प्रयोग जन साधारण द्वारा किया जाता है अतः गंगा पानी को दूषित होने से रोकने के लिए जो बाद लाया गया वह लोकहित वाद कहलाता है इसी प्रकार ताजमहल की सुंदरता को बनाए रखने के लिए जो वाद लाया गया था वह भी लोकहित वाद...

संघ और राज्य क्षेत्र

 भारत का संविधान सभी के लिए समान कानून को संविधान कहा जाता है देश और राज्य का शासन कैसे चलेगा उसको चलाने के लिए जिस किताब का उपयोग किया जाता है उसका नाम संविधान है संविधान में 22 भाग और 395 अनुच्छेद है भाग 1 - संघ और राज्य क्षेत्र भारत राज्यों का संघ है अर्थात भारत राज्यों का यूनियन है इसका कोई भी राज्य टूट कर अलग नहीं हो सकता है संसद को यह अधिकार है कि भारत के बाहर कोई देश है तो उसे भारत में मिला सकता है या किसी देश का कोई टुकड़ा है जो भारत में मिलना चाहता है तो उसे मिला सकता है यानी अनुच्छेदों कहता है कि संघ राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति पर किसी विदेशी राज्य को भारत में मिला सकता है उदाहरण के लिए 35 वें संशोधन में हमने सिक्किम राज्य को मिलाया और दो क यह 36 संशोधन में निरस्त कर दिया गया 1 मई 1975 संसद राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से भारत के किसी भी राज्य को बिना अनुमति नाम सीमा में परिवर्तन कर सकती है जैसे उन्होंने एमपी से छत्तीसगढ़ यूपी से उत्तराखंड और बिहार से झारखंड बनाया जल संसद अनुच्छेद दो का प्रयोग विदेशी राज्य को मिला ना वह अनुच्छेद तीन का प्रयोग राज्य में परिवर्तन किया जाता है ...

नागरिकता अधिनियम 1955

 नागरिकता अधिनियम 1955 नागरिकता अधिनियम की विशेषताएं भारत की नागरिकता नागरिकता अधिनियम 1955 के अधिनियम पर आधारित है नागरिकता के अधिनियम में पहली बार संशोधन 1986 में किया गया नागरिक होने पर पहचान पत्र आधार कार्ड पैन कार्ड दिया जाता है  जन्म के आधार पर 1986 भारत में जन्म लेने वाले सभी बच्चों को नागरिकता दी जाएगी यदि उनके माता-पिता भारत के नागरिक हूं वंश के आधार पर 1992 - विदेश में बच्चों को भी नागरिकता का अधिकार होगा जब माता-पिता या दोनों में से एक भारत का नागरिक हूं पंजीकरण- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को 7 वर्ष लगातार भारत में रहना होगा इस विधि द्वारा राष्ट्रीय मंडल देशों को नागरिकता प्रदान की जाती है देसी करण- वैसे व्यक्ति जो भारत के किसी एक भाषा को भी जानता हूं भारत के प्रति सकारात्मक सोच रखता है वैज्ञानिक कला में निपुण है साहित्य उसे भारत में रहते हुए 10 वर्ष हो गए हैं तब वह भारतीय प्राप्त कर सकता है  अजीत भूमि- किसी भी देश राज्य को भारत में मिला ना तब वहां के लोगों को भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है उदाहरण के लिए सिक्कि...

संविधान की उद्देशिका

 उद्शिका हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा के समान अवसर प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए संकल्पित होकर अपने विधानसभा में आज तारीख 26 नवंबर 1950 ईसवी कोई सविधान को अंगीकृत अधिनियम और आप को समर्पित करते हैं  उद्देशिका किसी अधिनियम के मुख्य आदर्शों और आकर्षण का उल्लेख करती है गोलकनाथ बनाम राज्य पंजाब मैं बताया गया है विधान का अंग है या नहीं इन री बेरुबरी यूनियन बनाम के मामले में कहा गया है कि उद्देशिका संविधान का अंग नहीं है क्योंकि यह है संविधान के पूर्व लिखी जाती है उद्देशिका संविधान के 4 पुत्र तत्व को समाहित करता है संविधान से अलग कोई बात नहीं है उद्देशिका में क्या उद्देशिका संविधान का आवश्यक अंग है उद्देशिका संविधान का अंग है परंतु आवश्यक अंग नहीं क्योंकि आवश्यक अंग वह होता है जो शक्ति प्रदान करता है और उस शक्ति का सम्मान करत...