सामान्यतः लोकतंत्र में शासन के 3 मूलभूत स्तम्भ होते हैं - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका।
💟👉सामान्यतः लोकतंत्र में शासन के 3 मूलभूत स्तम्भ होते हैं - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका।❣️🇮🇳 👉इसके अलावा लोकतंत्र में मीडिया को चौथे स्तम्भ के रूप में पेश किया जाता है। 👉भारत में कार्यपालिका का पुनः दो स्वरूप देखने को मिलता है - एक अस्थाई कार्यपालिका और दूसरी स्थाई कार्यपालिका। 👉अस्थाई कार्यपालिका के रूप में मंत्रिपरिषद की भूमिका होती है, जो जनता के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। 👉वहीं स्थाई कार्यपालिका में लोक सेवकों की भूमिका होती है, जो अपनी विशेषज्ञता और गुणवत्ता के आधार पर जन सेवा करते हैं। 💟👉सिविल सेवकों की भूमिका 👉सरल शब्दों में कहे तो ये प्रशासनिक अधिकारी या सिविल सेवक किसी राजनैतिक व्यवस्था में रीढ़ की तरह होते हैं, जो सरकारी नीतियों और कानूनों के कार्यान्वयन, नीति-निर्माण, प्रशासनिक काम-काज और राजनेताओं के सलाहकार के रूप में काम करते हैं। 👉इसके अलावा वे अपने तमाम भूमिकाओं के ज़रिए विधायी कार्य, अर्द्ध न्यायिक कार्य, कर और वित्तीय लाभों का वितरण, रिकॉर्ड रखरखाव और जनसंपर्क स्थापित करने जैसे दूसरे महत्वपूर्ण काम भी करते हैं। 💟👉लोकतंत्र और सिव...