संविधान की उद्देशिका

 उद्शिका

हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा के समान अवसर प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए संकल्पित होकर अपने विधानसभा में आज तारीख 26 नवंबर 1950 ईसवी कोई सविधान को अंगीकृत अधिनियम और आप को समर्पित करते हैं 


उद्देशिका किसी अधिनियम के मुख्य आदर्शों और आकर्षण का उल्लेख करती है गोलकनाथ बनाम राज्य पंजाब मैं बताया गया है

विधान का अंग है या नहीं इन री बेरुबरी यूनियन बनाम के मामले में कहा गया है कि उद्देशिका संविधान का अंग नहीं है क्योंकि यह है संविधान के पूर्व लिखी जाती है उद्देशिका संविधान के 4 पुत्र तत्व को समाहित करता है संविधान से अलग कोई बात नहीं है उद्देशिका में

क्या उद्देशिका संविधान का आवश्यक अंग है उद्देशिका संविधान का अंग है परंतु आवश्यक अंग नहीं क्योंकि आवश्यक अंग वह होता है जो शक्ति प्रदान करता है और उस शक्ति का सम्मान करती है परंतु देश का ना तो शक्ति प्रदान करती है ना ही सामान कल करती है अतः आवश्यक अंग नहीं है

क्यों उद्देशिका संविधान के मूलभूत ढांचे का अंग है या नहीं यह प्रश्न सर्वप्रथम केसवानंद भारती केरल 1973 में उठा जिसमें न्यायालय ने कहा कि संविधान संविधान के मूलभूत ढांचे का अंग है मूल ढांचे के किसी भाग को निरस्त नहीं किया जा सकता है अतः उद्देशिका में भी संशोधन किया जा सकता है किसी भाग को निरस्त नहीं किया जा सकता है 42 वें संशोधन के अंतर्गत संविधान की उद्देशिका में 3 शब्द जोड़े गए समाजवादी पंथनिरपेक्ष अखंडता को जोड़ा गया इस बात का समर्थन करता है

उद्देशिका की उपयोगिता एवं महत्व क्या है उद्देशिका संविधान का मूल है यह संविधान की व्याख्या करती है यह संविधान के स्रोत को इंगित करती है कि विस्तृत और राजनीतिक संप्रभुता भारत के लोगों में है जबकि विधिक संपूर्ण संविधान में है यह नागरिक को को प्रदान किए जाने वाले अधिकार को वर्णित करती है निर्वाचन में जब स्पष्ट हो तो उद्देश्य का वहां पर स्पष्टीकरण में सहायता प्रदान करती है

उद्देशिका का अर्थ

हम भारत के लोग यह पद संविधान के स्रोत को बताता है जो जनता है

संप्रभुता राजनीतिक और विधिक है राजनीतिक संप्रभुता जनता में निहित है और विधिक संप्रभुता संविधान में निहित है

संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न भारत किसी भी विदेशी सत्ता के अधीन नहीं है

समाजवादी में जोड़ा गया जो लोकतांत्रिक समाजवादी पर आधारित है इसके बारे में अनुच्छेद 39 है और कहां गया है और इसके संबंधित मामला एक्सएल बनाम भारत संघ के बाद में है डीएस नक्कारा बनाम भारत संघ में भी उत्तम न्यायालय ने निर्धारित किया है कि समाजवादी का मूल तत्व कमजोर वर्ग और कर्म कारों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना है और जन्म से मृत्यु तक सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देना है रणजीत सिंह बनाम भारत संघ उच्च न्यायालय निर्धारित किया है अनुच्छेद 40 में निरूपित सिद्धांत के अनुसार पुरुष स्त्री को समान कार्य समान वेतन देना होगा

यह सब भी 42 वें संशोधन में जोड़ा गया भारत धर्म और पंथ में नात पक्ष में है और ना ही विपक्ष में है भारत सर्वधर्म सम्मान भावना की संकल्पना रखता है इसका मतलब होता है कि भारत सरकार भारत की विधि ने तो धर्म के आधार पर विभेद करती है नहीं पति के आधार पर

लोकतंत्रात्मक भारत सरकार की शक्ति का स्रोत भारत की जनता है डॉक्टर अंबेडकर का कहना था कि राजनीतिक लोकतंत्र तब तक फल फूल नहीं सकता जब तक सामाजिक लोकतंत्र पर आधारित ना हो सामाजिक लोकतंत्र का तात्पर्य उन्होंने जीवन का स्तर बताया है जो स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व की भावना से है अनुच्छेद 326 एक व्यक्ति के एकमत लोकतंत्रात्मक पर आधारित है

गणराज्य निर्वाचित व्यक्ति ना तो वंश अनुसार होगा ना ही समाज के अनुसार वह जनता के मत के आधार पर ही निर्वाचित किया जाएगा अनुच्छेद 54 55 के अनुसार

सामाजिक न्याय समाज के दो पक्षकारों के मध्य न्याय करते समय दूसरे पत्रकार को गंभीर रूप से छत्ती पहुंचाने वाला न्याय नहीं होगा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि दूसरे पक्ष कार को गंभीर रूप से क्षति ना पहुंचे शुद्ध रामबन नाम पुलिस बिहार इसका एक अच्छा उदाहरण है

समानता दो प्रकार की होती है प्रतिष्ठा की समानता और अवसर की समानता दोनों प्रकार की समानता की बात की गई है हमारी उद्देशिका में

व्यक्ति की गरिमा व्यक्ति को एक गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार है उसे यह अधिकार कोई भी नहीं छीन सकता है क्योंकि अनुच्छेद 21 में बताया गया है इससे संबंधित एक विवाद भी है जो सुप्रसिद्ध है विशाखा बनाम राजस्थान

एकता और अखंडता अखंडता शब्द को 42 संशोधन में जोड़ा गया था एकता और अखंडता बंधुता पर आधारित है बंधुता के आधार पर ही हम एकता और अखंडता प्राप्त कर सकते हैं धर्मनिरपेक्षता और एकल नागरिकता बंधुता का परिचय है



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