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लोकहित वाद PLL

लोकहित वाद का अर्थ आज हम जानेंगे लोकहित वाद का अर्थ साधारण शाब्दिक अर्थ में ऐसा वाद्य न्यायिक कार्यवाही जिसमें जनसाधारण या जनता के एक बड़े वर्ग का हित निहित होता है दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि व्यापक जनहित से जुड़े मामले लोकहित वाद होते हैं जब कोई व्यक्ति अपने हितों के रक्षण के लिए अर्थ अभाव मैं न्यायालय नहीं आ सकते थे वह लोकहित वाद के माध्यम से वह अपने हित का संरक्षण पा सकता है उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कृष्ण अय्यर ने कहा था कि पीड़ित और समर्थ व्यक्ति के ही न्यायालय में आज सकने की संकुचित अवधारणा को अब समाप्त कर दिया गया है उसका स्थान अब बड़े वर्ग कार्यवाही लोकहित वाद और प्रतिनिधि बाद आदि ने ले लिया है अब कोई भी व्यक्ति जो किसी लोकहित से जुड़ा हुआ है उसके संबंध में वह न्यायालय से सुरक्षा प्राप्त कर सकता है उदाहरण के लिए गंगा के पानी में सबका हित है उस नदी के पानी के प्रयोग जन साधारण द्वारा किया जाता है अतः गंगा पानी को दूषित होने से रोकने के लिए जो बाद लाया गया वह लोकहित वाद कहलाता है इसी प्रकार ताजमहल की सुंदरता को बनाए रखने के लिए जो वाद लाया गया था वह भी लोकहित वाद...

संविधान की उद्देशिका

 उद्शिका हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा के समान अवसर प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए संकल्पित होकर अपने विधानसभा में आज तारीख 26 नवंबर 1950 ईसवी कोई सविधान को अंगीकृत अधिनियम और आप को समर्पित करते हैं  उद्देशिका किसी अधिनियम के मुख्य आदर्शों और आकर्षण का उल्लेख करती है गोलकनाथ बनाम राज्य पंजाब मैं बताया गया है विधान का अंग है या नहीं इन री बेरुबरी यूनियन बनाम के मामले में कहा गया है कि उद्देशिका संविधान का अंग नहीं है क्योंकि यह है संविधान के पूर्व लिखी जाती है उद्देशिका संविधान के 4 पुत्र तत्व को समाहित करता है संविधान से अलग कोई बात नहीं है उद्देशिका में क्या उद्देशिका संविधान का आवश्यक अंग है उद्देशिका संविधान का अंग है परंतु आवश्यक अंग नहीं क्योंकि आवश्यक अंग वह होता है जो शक्ति प्रदान करता है और उस शक्ति का सम्मान करत...