नागरिकता अधिनियम 1955
नागरिकता अधिनियम 1955
नागरिकता अधिनियम की विशेषताएं
भारत की नागरिकता नागरिकता अधिनियम 1955 के अधिनियम पर आधारित है
नागरिकता के अधिनियम में पहली बार संशोधन 1986 में किया गया
नागरिक होने पर पहचान पत्र आधार कार्ड पैन कार्ड दिया जाता है
जन्म के आधार पर 1986 भारत में जन्म लेने वाले सभी बच्चों को नागरिकता दी जाएगी यदि उनके माता-पिता भारत के नागरिक हूं
वंश के आधार पर 1992 - विदेश में बच्चों को भी नागरिकता का अधिकार होगा जब माता-पिता या दोनों में से एक भारत का नागरिक हूं
पंजीकरण- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को 7 वर्ष लगातार भारत में रहना होगा इस विधि द्वारा राष्ट्रीय मंडल देशों को नागरिकता प्रदान की जाती है
देसी करण- वैसे व्यक्ति जो भारत के किसी एक भाषा को भी जानता हूं भारत के प्रति सकारात्मक सोच रखता है वैज्ञानिक कला में निपुण है साहित्य उसे भारत में रहते हुए 10 वर्ष हो गए हैं तब वह भारतीय प्राप्त कर सकता है
अजीत भूमि- किसी भी देश राज्य को भारत में मिला ना तब वहां के लोगों को भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है उदाहरण के लिए सिक्किम राज्य
यह पांच तरीके थे भारत की नागरिकता प्राप्त करने के इसके अलावा नागरिकता अधिनियम में नागरिकता संबंधी कुछ विशेष प्रबंध किए गए हैं जो प्रकार के है
NRI वह नागरिक जो वर्तमान में भारत में नहीं रह रहा लेकिन वह भारत का नागरिक है वह विदेश में 6 महीने से ज्यादा रहता है पढ़ाई या नौकरी के उद्देश्य से वहां जाता है वह व्यक्ति एनआरआई के नाम से जाना जाता है
नागरिकता - इसे 2005 में लक्ष्मी मल सिद्ध वी समिति द्वारा जोड़ा गया यह बड़े-बड़े उद्योगपति को दिया जाता है जो विदेशी नागरिकता ग्रहण कर लिए हैं इस नागरिकता को प्राप्त करने पर वीजा के लिए आवश्यकता नहीं होती है विजय के बिना भारत में आ जा सकते हैं इस नागरिकता को गृह मंत्री द्वारा समाज भी किया जा सकता है जब उन्हें लगता है कि वह व्यक्ति देश विरोधी काम कर रहा है या पागल हो गया है या दूसरे राष्ट्रीय के प्रभाव में आग जाता है
वीजा - किसी दूसरे देश में जाने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है इस अनुमति को वीजा कहा जाता है इसके बिना दूसरे देश में प्रवेश नहीं होता है
पासपोर्ट अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में जाने के लिए अपने देश से अनुमति लेना पासपोर्ट कहलाता है
नागरिकता संशोधन अधिनियम- यह भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम जिसके द्वारा सन 1955 की नागरिकता कानून को संशोधन करने की व्यवस्था की गई है 31 दिसंबर 2014 के पहले पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धर्म रतन लोग अल्पसंख्यक को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी इस विधेयक में नागरिकता को प्राप्त करने के लिए आवश्यकता 11 वर्ष तक भारत में रहने की शर्त को पूरा करना था उसमें छूट करके उस समय अवधि को 5 वर्ष तक किया गया है 20 दिसंबर 2019 को पाकिस्तान के 7 शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देखकर इस अधिनियम को लागू किया गया
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट्रीकरण - भारतीय राष्ट्रीय नागरिक कुंजी भारत सरकार द्वारा निर्मित एक कुंजी है जिसके अनुसार भारतीय नागरिकों के नाम जो असम के वास्तविक नागरिक है यह कुंजी विशेष रूप से असम के लिए की बनाई गई है जब पाकिस्तान और बंगाल देश में लड़ाई चल रही थी तो बहुत से लोग वहां से भागकर भारत में चले आए थे सभी धर्मों से पीड़ित और अपने ही देश के लोगों से प्रताड़ित लोग थे तो सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कहा कि आप एन आर आई लाइए और जो व्यक्ति 24 मार्च 1971 से पहले भारत आए हैं उन्हें एनआरसी के तहत नागिता दे दी जाएगी 2015 से एनआईसी रजिस्टर बनाया गया एनआरसी रजिस्टर होने के लिए दो लिस्ट को मिलाकर कुल 30 डोकोमेंट में से कोई एक का होना आवश्यक होता है यदि आपके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है तो आपको 4 महीने का समय दिया जाता है कि आप अपने डॉक्यूमेंट सबमिट करें इस समय अवधि में अपने डॉक्यूमेंट नहीं जमा कर पाते है तो आप जिला न्यायालय में जा सकते हैं और वहां साबित कर सकते हैं वहां भी साबित नहीं करने पर आप सुप्रीम कोर्ट मैं अपनी अपील कर सकते हैं और वहां पर भी साबित नहीं किए जाने पर आप की नागरिकता को समाप्त कर दिया जाएगा और आपको डिटेक्ट सेंटर में भेज दिया जाएगा
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर करण- एनपीआर देश के निवासियों का एक रजिस्टर होता है इसमें नागरिक अधिनियम 1955 को नागरिकता नियम 2003 के प्रावधानों के आधार पर स्थानीय ग्रामीण और सरपंच तहसील राज्य के राष्ट्रीय स्तर पर तैयार की की गई होती है इसी से हम जनसंख्या का आंकलन करते हैं
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