संघ और राज्य क्षेत्र
भारत का संविधान
सभी के लिए समान कानून को संविधान कहा जाता है देश और राज्य का शासन कैसे चलेगा उसको चलाने के लिए जिस किताब का उपयोग किया जाता है उसका नाम संविधान है संविधान में 22 भाग और 395 अनुच्छेद है
भाग 1 - संघ और राज्य क्षेत्र
भारत राज्यों का संघ है अर्थात भारत राज्यों का यूनियन है इसका कोई भी राज्य टूट कर अलग नहीं हो सकता है
संसद को यह अधिकार है कि भारत के बाहर कोई देश है तो उसे भारत में मिला सकता है या किसी देश का कोई टुकड़ा है जो भारत में मिलना चाहता है तो उसे मिला सकता है यानी अनुच्छेदों कहता है कि संघ राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति पर किसी विदेशी राज्य को भारत में मिला सकता है उदाहरण के लिए 35 वें संशोधन में हमने सिक्किम राज्य को मिलाया और दो क यह 36 संशोधन में निरस्त कर दिया गया 1 मई 1975
संसद राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से भारत के किसी भी राज्य को बिना अनुमति नाम सीमा में परिवर्तन कर सकती है जैसे उन्होंने एमपी से छत्तीसगढ़ यूपी से उत्तराखंड और बिहार से झारखंड बनाया
जल संसद अनुच्छेद दो का प्रयोग विदेशी राज्य को मिला ना वह अनुच्छेद तीन का प्रयोग राज्य में परिवर्तन किया जाता है तो राष्ट्रपति की अनुमति की आवश्यकता नहीं है क्योंकि 368 में नहीं आता है 368 में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है अनुसूचित एक और चार भी इसी में आती
इन री बेरुबरी यूनियन एवं एक्सचेंज ऑफ इनफ्लुएंस मैं बताया गया है जब भारत के बाहर कि कोई विदेशी भूमि विदेशी राष्ट्रीय के साथ कोई करार होता है और उसे पूरा करना होता है तो वह अनुच्छेद 3 के अधीन नहीं होता है इसके लिए राष्ट्रपति के अनुमति से 368 अनुच्छेद के अनुसार संशोधन किया जाता है इस केस के अनुसार संविधान में संशोधन हुआ था
मगन भाई बनाम भारत संघ इस मामले में भारतीय सीमाओं के अंदर के करार के बारे में था तो संविधान के संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ी कार्यपालिका ने अपनी शक्तियों का प्रयोग कर करार पूर्ण किया था
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