जानें भारत में जनहित याचिका (PIL) दायर करने की प्रक्रिया क्या है

जानें भारत में जनहित याचिका (PIL) दायर करने की प्रक्रिया क्या है?
जनहित याचिका (Public Interest Litigation), एक ऐसा माध्यम है, जिसमें मुकदमेबाजी या कानूनी कार्यवाही के द्वारा अल्पसंख्यक या वंचित समूह या व्यक्तियों से जुड़े सार्वजनिक मुद्दों को उठाया जाता है.इसके माध्यम से जनहित के मुद्दों को ठीक किया जाता है जनहित याचिका दायर करने का अधिकार किसे है? (Who can file PIL)
कोई भी भारतीय नागरिक जनहित याचिका दायर कर सकता है, केवल शर्त यह है कि इसे निजी हित के बजाय सार्वजनिक हित में दायर किया जाना चाहिए. यदि कोई मुद्दा अत्यंत सार्वजनिक महत्व का है तो कई बार न्यायालय भी ऐसे मामले में स्वतः संज्ञान लेती है और ऐसे मामले को संभालने के लिए एक वकील की नियुक्ति करती है.
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जनहित याचिकाएं कहां दायर की जा सकती है?
जनहित याचिकाओं को केवल उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) या उच्च न्यायालय (High Court) में दायर किया जा सकता है.
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जनहित याचिकाएं कहां दायर की जा सकती है?
जनहित याचिकाओं को केवल उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) या उच्च न्यायालय (High Court) में दायर किया जा सकता है.जनहित याचिका दायर करने की प्रक्रिया क्या है? (How to file PIL)
जनहित याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ता को संबंधित मामले की पूरी तहकीकात करनी चाहिए. यदि जनहित याचिका कई व्यक्तियों से संबंधित है तो याचिकाकर्ता को सभी लोगों से परामर्श करना चाहिए. एक बार जब किसी व्यक्ति द्वारा जनहित याचिका दायर करने का निर्णय ले लिया जाता है, तो उसे अपने केस को मजबूत करने के लिए सभी संबंधित जानकारी और दस्तावेज एकत्र करने चाहिए. जनहित याचिका दायर करने वाला व्यक्ति खुद भी बहस कर सकता हैं या एक वकील को नियुक्त कर सकता है. सामान्यतः किसी भी मामले में, जनहित याचिका (PIL) दाखिल करने से पहले एक वकील से सलाह लेने के लिए सलाह दी जाती है.

यदि जनहित याचिका (PIL) को उच्च न्यायालय में दायर किया जाता है, तो अदालत में याचिका की दो प्रतियां जमा करनी पड़ती है. साथ ही, याचिका की एक प्रति अग्रिम रूप से प्रत्येक प्रतिवादी को भेजनी पड़ती है और इसका सबूत जनहित याचिका में जोड़ना पड़ता है.

यदि जनहित याचिका (PIL) को सर्वोच्च न्यायालय में दायर किया जाता है, तो अदालत में याचिका की पांच प्रतियां जमा करनी पड़ती है. प्रतिवादी को जनहित याचिका की प्रति केवल तभी भेजा जाता है जब अदालत द्वारा इसके लिए नोटिस जारी किया जाता है.जनहित याचिका दायर करने का शुल्क कितना है? (Fees for PIL)
अन्य अदालती मामलों के मुकाबले जनहित याचिका दायर करना सस्ता है. किसी जनहित याचिका में वर्णित प्रत्येक प्रतिवादी के लिए 50 रूपये का शुल्क अदा करना पड़ता है और इसका उल्लेख याचिका में करना पड़ता है. हालांकि, पूरी कार्यवाही में होने वाला खर्च उस वकील पर निर्भर करता है, जिसे याचिकाकर्ता अपनी तरफ से बहस करने के लिए अधिकृत करता है
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किन-किन मुद्दों पर जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने के संबंध में दिशानिर्देशों की एक सूची जारी की है जिसके अनुसार निम्नलिखित मामलों में जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती है:
• मकान मालिक-किरायेदार से संबंधित मामले
• सेवाओं से संबंधित मामले
• पेंशन और ग्रेच्युटी से संबंधित मामले
• दिशानिर्देशों की सूची में उल्लिखित 1 से 10 मदों से संबंधित मुद्दों को छोड़कर केन्द्र और राज्य सरकार के विभागों और स्थानीय निकायों के खिलाफ शिकायतें
• चिकित्सा और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से संबंधित मामले
• उच्च न्यायालय या अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों की जल्दी सुनवाई के लिए याचिका

क्या आमतौर पर न्यायाधीश जनहित याचिकाएं स्वीकार करते हैं?
जनहित याचिका अदालत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा स्वीकार की जाती है, इसलिए यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि मुख्य न्यायाधीश इस मामले को किस रूप में देखता है. उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायलय द्वारा किसी जनहित याचिका को स्वीकार करने की औसत दर 30 से 60 प्रतिशत तक है. आमतौर पर, उन जनहित याचिकाओं को स्वीकार किया जाता है, जिसमें वर्णित तथ्यों से न्यायाधीश सहमत होते हैं और उन्हें लगता है कि विषय महत्व का है और जनता के हित में है.

जनहित याचिका से संबंधित मामले की सुनवाई में कितना समय लगता है?
वास्तव में यह संबंधित मामले पर निर्भर करता है. यदि कोई मामला कई व्यक्तियों के जीवन से जुड़ा है या मानव अधिकारों के उल्लंघन आदि से संबंधित है, तो ऐसे मामलों में अदालत बहुत ही कम समय में सुनवाई को पूरा करता है और मामले का निपटारा करता है. लेकिन सामान्य तौर पर, अदालतों में अत्यधिक जनहित याचिकाओं के जमा होने के कारण, मामलों की सुनवाई और निपटारे में सालों लग जाते हैं. हालांकि, सुनवाई के दौरान, जरूरत पड़ने पर अदालत अधिकारियों को कुछ कार्य करने के लिए निर्देश दे सकता है. दोनों पक्षों की अंतिम सुनवाई के बाद जनहित याचिकाओं से संबंधित मामलों में अंतिम निर्णय दिया जाता है.

क्या भारत में जनहित याचिकाओं (PIL) को दायर करने से संबंधित अधिकारों का दुरुपयोग हो रहा है?
विभिन्न देशों में जनहित याचिका के उद्भव और विकास का अध्ययन करने के बाद न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी लिखते हैं कि, “गरीब वर्गों की मदद करने के उद्देश्य से जनहित याचिका के माध्यम से अदालतों ने जीवन और स्वतंत्रता की एक नई परिभाषा दी है. साथ ही जनहित याचिका के माध्यम से पारिस्थितिकी, पर्यावरण और जंगलों की सुरक्षा से संबंधित मामलों को भी समय-समय पर उठाया गया है. हालांकि, दुर्भाग्यवश ऐसे महत्वपूर्ण अधिकार क्षेत्र, जिसे अदालतों द्वारा सावधानी से तैयार किया गया है और देखभाल किया जाता है, कुछ गलत इरादों के साथ दायर किए गए याचिकाओं के माध्यम से दुरूपयोग किया जाता है”

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