lokhitwad public interest litigation
लोकहितवाद ( Public Interest Litigation ) बीसवीं सदी की उत्तरार्द्ध को एक महत्वपूर्ण अवधारणा है । यह समाज के कमजोर व्यक्तियों को न्याय सुलभ कराने का एक महत्त्वपूर्ण उपक्रम है । हमारे संविधान के अनुच्छेद 39 क में जनसाधारण को न्याय उपलब्ध कराने की जो संकल्पना की गई है , उसे मूर्त रूप प्रदान करने का यह एक सार्थक माध्यम है । हमारे समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है , जो अशिक्षा , अज्ञानता एवं निर्धनतावश न्यायालय तक नहीं पहुँच पाता है । ऐसे वर्ग को सामाजिक एवं स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से न्याय सुलभ कराने का एक सरल उपाय है । वस्तुतः लोकहितवाद जनजीवन से जुड़ी समस्याओं के राकरण एक सशक्त मंच है । डेमोक्रेटिक राइट्स बनाम यूनियन ' पीपुल्स यूनियन फॉर प्र.क्शन ऑफ इण्डिया ' के मामले में उच्चतम न्याय द्वारा यह प्रतिपादित किया गया है कि- " लोकतंत्र में लोकहितवाद को विधि के शासन ( Rule of Law ) का एक महत्त्वपूर्ण अंग माना गया है । विधि का शासन केवल सम्पन्न वर्ग के हितों की ही सुरक्षा नहीं करता है , अपितु समाज के कमजोर वर्ग को भी न्याय के समान अवसर सुलभ कराता है । " ( ए.आई.आर. 1980 एस....